उच्च न्यायालय के आदेश पर ग्रामपंचायत चुनाव 2021 में बदले पूर्व शासनादेश की जनपद स्तर पर किरकिरी होती नजर आईं
केपीपीएन संवाददाता
सीतापुर , उत्तर प्रदेश के सीतापुर जनपद में उच्च न्यायालय द्वारा दिए गए निर्देशों की जनपद में उड़ती दिखी धज्जियां कुछ दिन पूर्व उच्चन्यायालय के आदेशानुसार ग्रामपंचायत चुनाव 2021 में बदले गए पूर्व शासनादेश के अनुपालन में जो शासनादेश जारी किया उसकी जनपद स्तर पर खूब धज्जियां उड़ती हुई नजर आई है। जनपद में ग्राम पंचायत प्रधान ,व बीडीसी पदों को इच्छानुसार बदल कर आदेश का अनुपालन की इतिश्री कर ली गई ,किसी भी ग्राम पंचायत को जनसँख्या के आधार पर किसी को घटते क्रम में तो किसी को बढ़ते क्रम एवं कुछ को प्रतिशत के आधार पर आवंटित कर दिया गया ,जब लोगो ने इसके विरुद्ध जिम्मेदार नेता शेख फारूक अहमद अध्यक्ष आम जन सामाजिक विकास संस्थान उत्तर प्रदेश,किसान मंच के प्रदेश अध्यक्ष शिव प्रकाश सिंह, प्रदेष प्रवक्त सचेंद्र दीक्षित,अंबुज श्रीवास्तव, जिला अध्यक्ष दिनेश शुक्ल, मंडल प्रवक्ता किसान मंच इस्लामुद्दीन अंसारी ज़िला कोषाध्यक्ष सीतापुर,विश्वपाल सिंह,जुबेर अहमद ,टिंकू सिंह, सौरव सिंह ,धीरू शुक्ला ,सिराज अहमद ,मोहम्मद शफीक ,धनंजय अवस्थी ,दिलीप अवस्थी, सौरभ अवस्थी ,विशाल अवस्थी, मेराज अहमद ,रुस्तम खान ,सोहराब खान ,अंजाना रावत ,राजू रावत ,ऋषि श्रीवास्तव ,आदिल रशीद ,यूनुस खान ,इलियास खान ,लालजी ,शैलेंद्र सिंह ,मेहंदी हसन ,रमजान अली ,अंशुमान सिंह ,धीरेंद्र सिंह ,अशोक सिंह ,कप्तान कुमार ,राजेश कुमार, रमेश रावत ,इसहाक खान ,शिवम सिंह, बब्बू सिंह , राजू सिंह, लल्ला सिंह राजू सिंह महाराज बख्त सिंह बबलू सिंह अनूप धीरेंद्र इत्यादि लोगों की मौजूदगी रही । वही उनके द्वारा बताया गया कि अधिकारियों द्वारा मामले को न सुनने की बात कह कर अपनी विवशता प्रकट की जो अक्षरशः सत्य भी प्रतीत होती है , क्योंकि कोई भी अधिकारी किसी की बात को सुन नही रहा है। जिससे आम जनमानस में काफी रोष व्याप्त है ,उदाहरण के तौर पर आपको बताते चलें कि सीतापुर जनपद के विकास खण्ड सकरन की न्याय पंचायत मानपुर सीकरी में ग्राम पंचायत मानपुर में 2015 में पिछड़ा वर्ग महिला सीट थी। और प्रथम लिस्ट में पिछड़ा वर्ग पुरुष थी और नई जारी लिस्ट में वही है। इसमे शासनादेश का स्पष्ट उल्लंघन किया गया है। क्योंकि 2015 में जो सीट जिस वर्ग के लिए थी वो नही रखी जाएगी । फिर यहां महिला से पुरुष करके वर्ग परिवर्तन कर दिया गया है। जबकि जातिगत आधार पर दूसरी सबसे बड़ी आबादी सामान्य की यहां पर बनी हुई है। ग्राम पंचायत पतरासा में मात्र 29 सामान्य है ।और 2015 में एससी से सीधे सामान्य वर्ग को आवंटित कर दी गई ,जबकि चकरनुक्रम में इसे पिछड़ा वर्ग और जनसँख्या के आधार पर भी पिछड़ा वर्ग के लिए होनी चाहिए थी। क्रमशः ग्राम पंचायत क्योटाना में सामान्य वर्ग मात्र 214 है वहां सामान्य जालिम नगर में 157 सामान्य वहां सामान्य ग्राम पंचायत अदवारी में सामान्य कम प्रतिशत में होने के बावजूद सामान्य महिला के लिए आवंटित है ।जबकि 2015 में उपरोक्त तीनो सीटे पिछड़ा वर्ग के लिए थी। जबकि द्वितीय बड़ी आबादी तीनो ग्राम पंचायतों में दलित वर्ग की है ।इसमे पतरासा को छोड़कर बाकी ग्राम पंचायते कभी भी एससी वर्ग की नही रहीं है ।ग्राम पंचायत खानपुर के साथ भी अधिकारियों का सौतेला व्यवहार नजर अंदाज नही किया जा सकता है। वहां 2015 में सामान्य महिला थी। प्रथम सूची में अनारक्षित थी किन्तु नई लिस्ट में उसे जनसँख्या के आधार पर पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित कर दी गयी ।जबकि कभी एससी वर्ग के लिए यह भी आरक्षित नही की गई ।अब सवाल उठता है ।उपरोक्त सभी ग्राम पंचायते अलग अलग नियमो के तहत आवंटित करके अधिकारियों ने स्वघोषित पारदर्शी सरकार की किरकिरी आम जनमानस में करा रहे है। यदि ऐसे अधिकारियों की मनमानी पर देश के चौथे स्तम्भ व माननीय न्यायालय ने स्वतः संज्ञान नही लिया तो आम जनमानस को न्याय मिलने की उम्मीद कम ही है ।
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