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Writer's pictureKumar Nandan Pathak

शब ए बारात गुनाहों से माफी की रात


वाजिदपुर अयोध्या।मदरसा इस्लामिया मोहम्मदिया पालपुर के प्रबंधक मौलाना हज़रत अब्दुस्सलाम मिस्बाही ने शबे बारात पर रौशनी डालते हुए कहा कि शब-ए-बारात मुसलमानों का एक खास त्यौहार है जिसमें खास इबादत पूरी रात जागकर की जाती है। इन इबादतों में क़ुरआन पाक की तिलावत करना ,नफिल नमाज़ें नमाज़ें पढ़कर अल्लह की बारगाह में अपने गुनाहों से तौबा इस्तेगफ़ार करना और रात में ही कब्रिस्तान जाकर अपने मरहूमीन के लिए मगफिरत की दुआएं करना।मुस्लिम समुदाय के योग14 शाबान की पूरी रात अपने घरों और मस्जिदों में जागकर नफ़्ल नमाजे और कुरआने पाक की तिलावत करना अहम माना जाता है। इस मौके पर मुसलमान अच्छे अच्छे पकवान भी बनाते हैं।

हज़रत मौलाना अब्दुस्सलाम मिस्बाही ने बताया कि इस्लामिक कैलेंडर के हिसाब से शब-ए-बारात आठवीं महीने यानी शाबान के 14 वीं तारीख को मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि शाबान महीने के बाद ही रमजान शरीफ का महीना शुरू होता है। रमजान शरीफ का महीना मुसलमानों के लिए सबसे पवित्र महीना शुमार किया जाता है। इस महीने में मुसलमान रोजे रखते हैं।उन्होंने कहा कि शब का मतलब अरबी में (रात) कहा जाता है और बरात का मतलब माफी। यानी इस दौरान पूरी रात इस्लाम के अनुयायी अपने परवर दिगार से अपने गुनाह की माफी की तलब करते हैं। ऐसा माना जाता है कि भाग्य का फैसला,आने वाले साल के लिए इसी रात किया जाता है। इसी वजह से मुसलमान इस रात को जागकर पूरी रात खास इबादत करते हैं। शब-ए-बारात विशेष तौर दुनिया के हर मुल्कों में मनाया जाता है। इस मौके पर बड़ी संख्या में लोग कब्रिस्तान में भी जाते हैं और अपने पूर्वजों या दुनिया से जा चुके रिश्तेदारों और करीबियों के लिए खास तौर पर दुआए मगफिरत करते हैं। दरअसल, शब-ए-बारात की रात मुहम्मद साहब जन्नतुल बकी (मदीने की कब्रिस्तान) गये थे उसी एतबार से मुसलमान उनका अनुसरण करने लगे। इस बार शब-ए-बारात मनाने का सबसे बेहतर तरीका ये होगा कि लोग अपने घरों में और मस्जिदों में पूरी रात जागकर क़ुरआने पाक खूब तिलावत करें और नफिल नमाजें पढ़ें,और अतिरिक्त नमाजों का पढ़ना भी नेकी कमाने का जरिया होता है पूरी रात जागकर घर पर नमाज पढ़ने का यह अच्छा मौका है।

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