संवाददाता मुस्ताक आलम
आकाश में प्रतिक्षण सौम्य ग्रह अपनी गति से जहां- जहां जाते हैं उनकी किरणें भूमंडल के उन-उन प्रदेशों पर पड़कर वहां के निवासियों के स्वास्थ्य,बुद्धि आदि पर अपना सौम्य प्रभाव डालती हैं । विषमय किरणों वाले क्रूर-ग्रह अपनी गति से जहां गमन करते हैं वहाँ वे अपने दुष्प्रभाव से वहां के निवासियों के स्वास्थ्य और बुद्धि पर अपना बुरा प्रभाव डालते हैं । मिश्रित रश्मि ग्रहों के प्रभाव मिश्रित एवं गुणहीन रश्मियों के ग्रहों के प्रभाव शून्य होते हैं । इन ग्रहों का सूक्ष्म अध्ययन यदि करना हो तो ज्योतिष ही एक सरल माध्यम है ।उक्त बातें रविवार को दशाश्वमेध स्थित शास्त्रार्थ महाविद्यालय में पंद्रह दिवसीय ज्योतिष ज्ञान शिविर के समापन एवं प्रतिभागी बटुकों को प्रमाण पत्र वितरण कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित सम्मपूर्णानन्द संस्कृत विश्वविद्यालय के ज्योतिष विभागाध्यक्ष प्रो.अमित कुमार शुक्ल ने कही ।उन्होंने कहा कि जन्म के समय जिन- जिन रश्मि वाले ग्रहों की प्रधानता होती है,जातक का स्वभाव वैसा ही बन जाता है । भारतीय ज्योतिषियों का अभिमत है कि मानव जिस नक्षत्र- ग्रह वातावरण के तत्व प्रभाव विशेष में उत्पन्न एवं पोषित होता है,उसमें उसी तत्व की विशेषता रहती है । प्राचार्य डा. गणेश दत्त शास्त्री ने बताया कि ज्योतिष शिविर के माध्यम से विद्यार्थियों को ग्रहों की स्थिति उनकी विलक्षणता,कुंडली निर्माणआदि सरल से सरल विधि द्वारा सिखाया गया । मकर संक्रांति के बाद छात्रहित में पुन: ज्योतिष व कर्मकांड की कार्यशाला व शिविर का आयोजन होगा । प्रारम्भ में दीप प्रज्ज्वलन के पश्चात मंगलाचरण का पाठ हुआ तदुपरान्त संयोजक आचार्य पवन शुक्ला ने अतिथियों व विद्वानों का माल्यार्पण कर स्वागत किया । अभिनन्दन भाषण व कार्यक्रम का सफल संचालन दर्शनशास्त्र के विद्वान् डा.राघवशरण मिश्र ने किया । शिविर संचालक डा.उमाशंकर त्रिपाठी ने कहा की वर्तमान में भी ऋतु परिवर्तन से मानव जीवन पर होने वाले प्रभाव का अनुभव भी ज्योतिष से ही किया जा रहा है । ग्रह- नक्षत्र आदि मानव जीवन पर किस प्रकार प्रभाव डालते हैं यह ऋषि मुनियों की शोध से भी ज्ञात हुआ है । अत: वर्तमान समय में ज्योतिष शास्त्र को सीखने के लिए देश ही नहीं विदेशी छात्र भी यहाँ काफी संख्या में आ रहे हैं । धन्यवाद ज्ञापन व्याकरण शास्त्र के आचार्य डा. शेष नारायण मिश्र ने दिया । उपस्थित अन्य प्रमुख लोगों में सर्वश्री आचार्य चूडामणि शास्त्री, आचार्य विकास दीक्षित, डा.अशोक पाण्डेय, डा.आमोद दत्त शास्त्री, बृजेश शुक्ला, संदीप तिवारी,शुभम शर्मा आदि शामिल थे ।
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