राजधानी लखनऊ में पुलिस कमिश्नरेट सिस्टम जब से लागू हुआ है अधिकारिक पूरी तरीके से बेलगाम हो चुके हो चाहे वह छोटा अधिकारी हो और चाहे बड़ा अधिकारी हो सभी के दिमाग में एक ही बात चल रही है कि जनता को किस तरीके से लूटा जाए और यदि जनता सवाल करती है तो इतना उनको डरा और धमका देते हैं कि मीडिया कर्मियों को सच नहीं बताना नहीं तो फिर ऐसा तो लेंगे ही आपका चालान भी भर देंगे और आप कुछ कर नहीं पाएंगे और इस तरह राजधानी लखनऊ में बाहर से आने वाले वाहनों के साथ खासकर यातायात पुलिस पूरी तरीके से बाहरी वाहनों को लूटने का कार्य कर रहे हैं ताजा मामला आज लखनऊ के कामता चौराहे का है ऐसे लखनऊ के कई प्रमुख चौराहे हैं जहां पर वसूली सिर्फ वसूली और किसी चीज पर यातायात पुलिस ध्यान नहीं देती है जबकि हकीकत कुछ और ही है ऐसे बड़े बड़े अधिकारी रोज गुजरते हैं लेकिन भीड़ में सायरन बजाते रहते हैं घंटों खड़े रहते हैं उस पर उनका ध्यान नहीं जाता है और इधर यातायात पुलिस अपना पेट भरने में लगी रहती है जाम लगी रहे जनता जान से जूस पी रहे उन से कोई लेना-देना नहीं उनको सिर्फ अपना पेट भरने से मतलब है आखिर यह छोटे हो या बड़े कर्मचारियों को आखिर इतनी समय कौन देता है और दिन पर दिन इनके हौसले बुलंद होते चले जा रहे हैं हम भी नहीं कह रहे हैं पीड़ित ने यह भी बताया कि मेरी खबर मत जाइएगा मेरी फोटो मत दिखाइएगा जिसके इमेज में उसने मुझे सच बताया और जिसका आश्वासन मीडिया कर्मी ने उसे दिया और कहा मैं आपकी फोटो नहीं दिखाऊंगा जिसके चलते उसने आपबीती अपनी बताएं और कई प्रमुख चौराहों का बताया कि हम वहां पर एक ₹1000 देकर के अब यहां तक पहुंचे हैं और यही काम कम था चौराहे पर भी हुआ लेकिन वहां पर तब तक एक मीडियाकर्मी वहां पर पहुंच गया जिसके चलते पुलिस वालों को उस गाड़ी को बिना पैसा लिए ही छोड़ना पड़ा
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