संवाददाता जतन सिंह
चरखारी(महोबा) कानपुर विश्वविद्यालय से पृथक होकर
बुदेलखण्ड़ विश्वविद्यालय झांसी की मायन्ता के दौरान 1978में बना राजकीय महाविद्यालय चरखारी मे दो दशक से कोई नई संकाय की प्रगति न होने से व्यावसायिक शिक्षा से पिछड़े क्षेत्र के शिक्षार्थी परेशान है।1998में तत्कालीन प्राचार्य डाॅ विधाशंकर त्रिपाठी के प्रयास से महाविद्यालय को विज्ञान,वाणिज्य स्नातक व पाँच विषय संस्कृत,भूगोल,अर्थशास्त्र,राजनीति ,इतिहास से स्नातकोत्तर के कक्षाओं की मान्यता मिली थी। तब से कई संकाय प्रस्तावित है।
रसायन विज्ञान से स्नातकोत्तर की कक्षायें चलाने के लिए विश्वविद्यालय से अनुमति है लेकिन प्रधायापकों की नियुक्ति न होने कक्षायें नही चल रही है।पुरातन छात्र राहुल बड़ौनिया,हाजी ताजउद्दीन,त्रृषिराज गंगेले,मुहम्मद शफीक एडवोकाट ने कहा कि नई शिक्षा नीति 2012में बीएड चार साल का हो गया है इसलिए वही स्नातकोत्तर महाविद्यालय में भी आवश्यकतानुसार बीएड संकाय शुरू की जाये इस ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को भी सस्ती रोजगार परख डिग्री शुरू की जाये।
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