गोरखपुर से कानपुर के बीच चलने वाली आधा दर्जन से अधिक दूरगामी रेलगाड़ियों में दर्जनों की संख्या में चलने वाले अवैध वेंडर दूर दराज क्षेत्रों के यात्रियों की जान के दुश्मन साबित हो रहे हैं। यात्रियों की शिकायत है कि ट्रेन में गैंगवार ढंग से चल रहे अवैध वेंडरों के गुणवत्ता विहीन खाद्य पदार्थ को खाकर कई बार यात्रियों की तबीयत खराब हो जाती है, वहीं यात्रियों के द्वारा सामान की गुणवत्ता व कीमत को लेकर एतराज जताने पर इनका समूह मारपीट पर उतर आते हैं। ट्रेन में चल रहे पुलिस व आरपीएफ का स्कोर्ट भी इनकी तरफदारी पर उतरने से दूरदराज क्षेत्रों को जा रहे यात्रियों को मन मसोसकर संतोष करना पड़ता है। अवैध वेंडरों की सक्रियता से जहां रेलवे को प्रति वर्ष लाखों रुपये राजस्व की चपत लग रही है वहीं इनकी आंड़ में जहर खुरान व जेबकतरे जैसे अपराधी भी निरीह यात्रियों को शिकार बना रहे हैं।
गोरखपुर - कानपुर के बीच होकर चलने वाली 19037, 20103, 12522, 12512, 12592, 15066, 11079 सहित आधा दर्जन से अधिक अप व डाउन दोनों ही प्रकार की ट्रेनों में सक्रिय अवैध वेंडर गोरखपुर, बस्ती, गोंडा, लखनऊ ,बाराबंकीव कानपुर में सवार होकर मनमाने दरों पर गुणवत्ता विहीन पूरी- छोला, चाट- समोसा, नमकीन- चाय वा फर्जी लेबल लगी रेल नीर की बोतल निर्धारित दर से अधिक कीमत में बेचते हैं। लखनऊ कानपुर में माल खरीदारी के लिए बराबर यात्रा करने वाले गोंडा के कई व्यापारियों ने बताया कि ये अवैध वेंडर चार पांच के समूह में बिना टिकट किसी एक कोच में सवार होकर मनमाने दरों पर खाद्य सामान बेचते हैं। किसी यात्री कीमत अथवा खाद्य सामग्री की गुणवत्ता को लेकर एतराज जताने पर भाषा बोली के आधार पर पहचान कर स्थानीय यात्रियों से बहस और बाहरी यात्रियों के साथ मार- पीट करने लगते हैं। पीड़ित यात्रियों द्वारा ट्रेन में चल रहे स्कोर्ट के जवान से शिकायत करने पर पुलिसकर्मी उल्टे उसे बंद करने की घुड़की देकर खामोश कर दिया जाता है। ट्रेनों में छिनैती करने के अपराधी व जेबकतरे भी इनके संरक्षण में अपना काम को अंजाम देते हैं। यात्रियों की पीड़ा है की करोना काल से प्लेटफार्म पर खानपान की दुकानें कम होने ट्रेनों की जांच में आई कमी से अवैध वेंडर बेलगाम हो गए हैं। कई यात्रियों ने रेलवे बोर्ड व जीआरपी के एसपी को शिकायती पत्र भेजकर ट्रेन में चलने वाले इन अवैध वेंडरों की मनमानी पर अंकुश लगाने का अनुरोध किया है।
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