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Writer's pictureKumar Nandan Pathak

युवा पीढ़ी में तेजी से फैल रहा एचआईवी


संवाददाता जतन सिंह

चंद्रशेखर कोरोना संक्रमण में एचआईवी वायरस खतरनाक

आशा संस्थान ने आयोजित की जागरूकता गोष्ठी

महोबा, 01 दिसंबर 2020।

एड्स एक जानलेवा बीमारी है जो हर उम्र के व्यक्तियों को प्रभावित कर रहा हैं। खासतौर से युवा पीढ़ी में एड्स तेजी से फैल रहा है। एड्स का ऐसे तो कोई इलाज नहीं है लेकिन संक्रमण के 72 घंटे के अंदर पीईपी (पोस्ट एक्सपोजर प्रोफिलेक्सिस) दवा की पहली डोज लेने और 28 दिन तक लगातार इस दवा के इस्तेमाल से एड्स के प्रभाव को खत्म किया जा सकता है। कोरोना संक्रमण के बीच यह वायरस बेहद खतरनाक साबित हो सकता है। यह बातें आशा संस्थान द्वारा आयोजित गोष्ठी में इंटेग्रेटेट काउंसलिंग एंड टेस्टिंग सेंटर (आईसीटीसी) में लैब टेक्नीशियन चंद्रशेखर ने कहीं।



प्रिवेंशन आफ परेंट टू चाइल्ड ट्रांसमिशन (पीपीटीसीटी) काउंसलर चंदा तिवारी ने कहा कि एड्स से लोगों को बचाना है तो समुदाय को इसके प्रति जागरूक होना बहुत जरूरी है। एड्स के प्रति जागरूकता बढ़ाने के लिए हर साल 1 दिसंबर को विश्व एड्स दिवस मनाया जाता है। इस वर्ष की थीम ‘एचआईवी-एड्स महामारी समाप्तरू लचीलापन और प्रभाव’ रखी गई है। संस्था के प्रोग्राम मैनेजर भानु प्रताप सिंह ने कहा कि एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाने से, संक्रमित ब्लड चढ़ाने से, संक्रमित सुई लगाने एवं यदि कोई महिला एचआईवी संक्रमण से ग्रसित है तो उसके होने वाले बच्चे को भी इस रोग से संक्रमित कर सकता हैं। यह एक ऐसी बीमारी है जिसके शुरुआती दिनों में किसी प्रकार का लक्षण सामने नहीं आते। बल्कि कुछ सालों के बाद इस बीमारी के लक्षण उभर के आते है जिसे व्यक्ति समझ नहीं पाता। पीपीटीसीटी काउंसलर नीलम विश्वकर्मा, तहसीन अख्तर, देव कुमार, आकांक्षा राय, रामऔतार नामदेव ने भी अपने विचार रखे। गोष्ठी में मोम्मद इमरान, जय हिंद, सुनीता यादव, हेमंत कुमार, कोमल राव इत्यादि उपस्थित रहे।


यह हैं एड्स के लक्षण

बुखार आना, शाम के समय पसीना आना, ठंड लगना, थकान महसूस होना, उल्टी आना, गले में खराश रहना, दस्त होना, खांसी होना, सांस लेने में समस्या होना, मांसपेशियों में दर्द होना, शरीर पर चकते पड़ना आदि।


ऐसे करें बचाव

एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ सुरक्षित शारीरिक सबंध बनाएं, खून को चढ़ाने से पहले जांच लें, उपयोग कि हुई सुइयों और टीके दुबारा न उपयोग करें, एक से ज्यादा लोगों के साथ यौन संबंध बनाते समय कंडोम का इस्तेमाल करें, मां एचआईवी संक्रमित हो तो संस्थागत प्रसव कराएं।

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