मुनीर अहमद अंसारी
वाजिदपुर (अयोध्या) : मधुमक्खी पालन ने क्षेत्र के कई किसानों की जिंदगी में खुशियाँ घोल दी हैं। इस समय समूचे क्षेत्र में मधुमक्खी पालन बड़े पैमाने पर किया जा रहा है। यह एक ऐसे कारोबार के रूप में उभरा है, जिसने किसानों को आर्थिक रूप से मजबूत किया है। जिसमें कम श्रम लगता है। और अधिक लाभ हासिल हो रहा है। इस कारोबार में केवल देख रेख ही करनी पड़ती है। इस समय दर्जनों गाँव के लोगों को इस योजना का लाभ उठाते देखा जा सकता है।
तीन वर्ष पूर्व याकूबपुर निवासी अनिल कुमार ने पांच सौ डिब्बों से खुद का मधुमक्खी पालन का कार्य शुरू किया था। और आज उसने अपनी मेहनत व लगन से क्षेत्र के जुनेदपुर, दफियापुर, अमरौती, रसूलपुर, सहित एक दर्जन से अधिक गाँव में मधुमक्खी पालन के काम में कई लोगों ने अपने साथ अपने पूरे परिवार को लगा रखा है। इस वर्ष अनिल कुमार ने तकरीबन दो हजार डिब्बों का प्लांट लगाया है। उसने बताया कि फूलों की खेती सरसों, अरहर, मटर, चना आदि सहित फूल वाली फसलों के समय तक शहद प्राप्त होता रहता है। जिसके बाद फिर आम, लीची आदि के बौर से भी शहद हासिल होता है।
सरसों के फूलों से अधिक निकलती शहद :
मधुमक्खी पालन का कार्य करने वाले अनिल कुमार, आलोक कुमार, रंगी लाल व शिव लाल आदि ने बताया वैसे तो शहद सभी प्रकार के फूलों व आम के बौर से प्राप्त होता है। लेकिन सरसों के फूलों से सबसे अधिक मात्रा में शहद हासिल होता है। 12 से 15 दिनों में प्रत्येक डिब्बे से एक किलो ग्राम शहद उपलब्ध हो जाता है। बारिश के चार महीनों में यह कार्य करीब - करीब ठप हो जाता है।
रुदौली के जुनेदपुर में पांच सौ डिब्बों का लगा प्लांट
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