केपीपीएन अश्वनी यादव
अम्बेडकर नगर। लाखों रुपये से सुसज्जित जलालपुर विकासखंड में बीडीओ कार्यालय को दो साल भी नहीं बीते हैं और इसे तोड़ा जाने लगा हैं। सबसे चौंकाने वाली बात रही कि खंड विकास अधिकारी को ही उनका कार्यालय तोड़े जाने की जानकारी नहीं है। ऐसे में सवाल उठता है कि बीडीओ के कार्यालय कक्ष को तोड़ने के लिए मजदूरों को बुलाने वाला कौन है। अवैध तरीके के कार्यालय तोड़ने के बाबत बीडीओ और एडीओ पंचायत ने अनभिज्ञता जताते हुए पल्ला झाड़ लिया। हालांकि अनन-फानन कार्यालय तोड़ने का काम रोक दिया गया है। अब इसे वापस उसी स्वरूप में बनाने का भी दावा किया जा रहा है। जलालपुर विकासखंड में बीडीओ के लिए सुरक्षित कक्ष नहीं होने की दशा में वर्ष 2019 में यहां तैनात रहे खंड विकास अधिकारी अरुण पांडेय ने 10 लाख रुपये अधिक की लागत से डवाकरा सभागार के कुछ हिस्से में बीडीओ को बैठने के लिए कक्ष बनवाया था। क्षेत्र पंचायत निधि से बीडीओ कार्यालय कक्ष का निर्माण करने में फाल सिलिंग, टाइल्स समेत वातानुकूलित मशीन, टेलीविजन, लाइटें तथा दीवारों पर प्लास्टिक की प्लेट आदि लगवाकर सुसज्जित किया था। फर्श को ऊंचाकिया गया था। पुख्ता निर्माण को लेकर इस कार्यालय के दशकों तक सुरक्षित होने के साथ इसमें कोई काम ही नहीं होने का अनुमान था। हालांकि इसके निर्माण को दो वर्ष भी नहीं बीते और अधिकारियों ने इसे तोड़वाना शुरू किया है।
बताया जाता है कि डवाकरा सभाकक्ष के छोटा होने का हवाला देते हुए इसे तोड़ना शुरू किया गया है। इसके लिए एक शिकायत का सहारा लिया गया। जलालपुर बीडीओ आरपी मिश्र ने इससे अनभिज्ञता जताई और कहा पता करके कार्यालय तोड़ने का काम तत्काल रोक दिया गया है। कार्यालय कक्ष को वापस उसी स्वरूप में लाया जाएगा।सरकारी खर्च से बने बीडीओ कार्यालय कक्ष को बगैर उच्चाधिकारियों को अवगत कराए वअनुमति लिए बिना तोड़ने के मामले में सबसे पहले जिम्मेदारी तय होना. जरूरी है। इसके बाद निर्माण को नष्ट करने के मामले में कार्रवाई के साथ बर्बाद हुए सरकारी बजट की वसूली होना भी आवश्यक है। इसके साथ यह भी सवाल उठता है कि दोबारा उसी स्वरूप में लाने के लिए बजट का इंतजाम कहां से होगा।
सीडीओ, अनुराज जैन का कहना है कि जलालपुर बीडीओ कार्यालय को तोड़ने अथवा किसी प्रकार के फेरबदल करने की जानकारी नहीं है। बगैर पूर्व अनुमति के कार्यालय को तोड़ने के मामले में जवाबदेही भी तय की जाएगी। इसका पता लगाया जाएगा कि कार्यालय तोड़ने के लिए किसने आदेश दिया। इसके बाद कार्रवाई सुनिश्चित करने के साथ नुकसान की भरपाई कराए जाने का इंतजाम भी दोषी जिम्मेदार अधिकारी पर किया जाएगा।
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