संवाददाता शनि कुमार केशरवानी
बचपन कितना प्यारा लफ्ज़ है ना इसका मूल्य युवा पीढी को सबसे ज़्यादा महसूस होता है । यह कहानी उस व्यक्ति की है जिसे बचपन से ही कलाकृतियों में अत्यंत लगाव था । बचपन में ही अधिकतर बच्चों का भविष्य उनके माता पिता या आस पड़ोस वाले या फिर रिश्तेदार तय कर दिया करते हैं उसमें सबसे उपर तीन नाम (पहला डॉक्टर , दूसरा इंजीनियर या व्यापारी ) जैसे इनके अलावा दुनिया मैं कोई और काम बचा ही नहीं इन्हीं कश्मकश में एक बालक जिसका नाम राजन है ।
अत्यन्त सरल व सीधे स्वभाव के , बचपन से ही उनकी रुचि कला मैं थी वोह अक्सर बारिश मैं भीगी हुई मिट्टी से कलाकृतियां बनाया करते थे। कभी कोई जानवर कभी कोई पंछी कभी किसी वस्तु को सामने रखकर उसकी आकृतियां बनाया करते थे।। इसी लगन को जब उसके अध्यापकों ने देखा तो उन्होंने उनको शहर में होने वाली तमाम प्रतियोगिताओं में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया । इसी तरह वोह हर जगह जाते और प्रथम स्थान प्राप्त किया करते थे ।
राजन जी को बचपन से ही बच्चों को सिखाने का भी जुनून था । कविता...............
मेरे ख़्वाब को अपने हाथों से , फिर हकीक़त बनाओ राजन ।
इस ख़्वाब की ताबीर को अपने रंगों से फिर सजाओ राजन ।।
इन तस्वीरों में एक अलग सी ज़िन्दगी महसूस होती है । इन जिंदा तस्वीरों में एक बार फिर से जान लगाओ राजन ।।
इनमे सिर्फ एक कहानी नहीं , ये तस्वीर हकीकत बोलती है । क्या है तुम्हारी पहचान , इस तस्वीर से दुनिया को दिखाओ राजन।।
विद्यालय से आकर फिर से वह कला में लीन हो जाते थे , कभी भगवान शिव कभी राम कभी कृष्ण इन सबकी तस्वीर बनाया
करते थे इसी मेहनत व कड़ी लगन के साथ साथ उसका बचपन बीता अब बारी थी चुनाव की जिसमें हर घर में अवश्य नोकझोंक होती है कोई कहता डॉक्टर तो कोई कहता इंजीनियर तो कोई बिजनेसमैन ! पर राजन जी अपनी कला के प्रति अटल रहे और आगे बढ़ने के लिए जद्दोजहद करते रहे ! उनकी मां ने हमेशा उनको प्रोत्साहित किया और आगे बढ़ने का हौसला दिया , परन्तु कुछ लोग जब भी पूछते की क्या पड़ रहा है तो कला का नाम सुनते ही कोई ना कोई तंज ज़रूर करता ! परन्तु किसे पता था कि उनका अभ्यास उन्हें अपनी कला में इतना निपुण बना देगा । उन्होंने तो किसी से कुछ ना कहा परन्तु उनकी कला व ख्याति ने सबको स्वतः ही उत्तर दे दिया । इसी के साथ साथ अब वह आस पास के बच्चों को घर पर ही कला सिखाते थे । और सिखाते सिखाते उनकी भी कला और खिलने लगी! इसी अभ्यास के साथ साथ उन्होंने कला में मास्टर डिग्री प्राप्त की और अपने कुछ सहयोगियों के माध्यम से अपना एक ग्रुप बनाया और अपनी कला को देश के विभिन्न लोगों तक पहुंचाया आज वोह कला कई राजनेताओं , अभिनेताओं , उद्योगपतियों , व्यापारियों व अन्य प्रतिष्ठित लोगों को उसके चित्र से छवित किया व आगे भी यही क्रम चल रहा है । यह उन लोगों के लिए मिसाल है जिन्हे करियर के लिए मात्र डॉक्टर व इंजीनियर या व्यापारी ही दिखाई देते है । राजन जी सभी लोगों के लिए एक मिसाल बन कर उभरे हैं । उन्होंने दिन रात एक करके कड़ी मेहनत के बल पर अपना यह नाम बनाया है । उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत व लगन से इस वाक्य को सिद्ध कर दिया कि अगर कोई चीज़ शिद्दत से चाहो तो पूरी कायनात उसे आपका बनाने में आपकी मदद करती है । आज भी राजन जी अपने ग्रुप के साथ इस कार्य मैं लगे हुए हैं । इससे वो अभी उस मुकाम की ओर जा रहे हैं जहां वह जाना चाहते हैं और वह अपनी कला को और अधिक निखार रहे हैं ।
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