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Writer's pictureKumar Nandan Pathak

पत्रों को देना आकार जिनका है कार्य उन पर दर्ज़ हो रही झूठी एफआईआर


भ्रष्टाचार को बढ़ाने सच को दबाने नाकामी छुपाने के उद्देश्य दर्ज की जा रही फर्जी एफआईआर

नए भारत में सत्य प्रकाशित करने के एवज में दर्ज होती पत्रकारों पर एफआईआर

बीते एक दशक में चौथे स्तम्भ के शोषण के मामले में उत्तर प्रदेश अवव्ल

(केपीपीएन विशाल श्रीवास्तव )

लखनऊ, देश ही नहीं अपितु पूरे विश्व में जहां पत्रकारों को एक अलग ही दर्जा प्रदान किया गया है । इसके अलावा पत्रकार ही एक मात्र ऐसा माध्यम है जो समाज को आयना दिखाने का कार्य करता है। जो कि निष्पक्ष सच को उजागर करने का कार्य करता है। परंतु अगर बात की जाए बीते दशक की तो लगातार पत्रकारों पर हो रहे अत्याचार एवं उनके शोषण से ना सिर्फ अपराध एवं भ्रष्टाचार बढ़ रहा है अपितु देश हित में बहुत बड़ी हानि होती नजर आ रही है। लगातार देश एवं प्रदेश में पत्रकारों के साथ हो रहे अत्याचार में उत्तर प्रदेश ने हर बार की भाति इस बार भी पत्रकारों के सोशण में प्रथम पायेदान पर टिक कर माहर्त हासिल कर रखी है। अगर बीते दशकों एवं वर्षों को छोड़ बीते एक माह की ही बात कर ली जाए तो बलिया में 10वीं के पेपर लीक मामले में अजीत ओझा समेत तीन पत्रकार गिरफ्तार किए गए हैं । वहीं पत्रकार अजीत ओझा की बेटियों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से गुहार लगाई है। बेटियों का कहना है कि उनके पिता ने ही मामले को उजागर किया और उन्हीं को जिला प्रशासन ने बदले की कार्रवाई करते हुए गिरफ्तार कर लिया। जब पत्रकार का कार्य सच को उजागर करना है तो सच उजागर करने की योगी आदित्यनाथ की सरकार में सजा लेनी पड़ेगी। अगर नहीं तो मेरे पिता अजीत ओझा को इंसाफ दो और उन्हें रिहा करो। गौरतलब है कि इस मामले में पेपर लीक के मास्टरमाइंड समेत करीब 50 लोगों को गिरफ्तार किया गया है। जिसमें तीन पत्रकार भी शामिल हैं। इन पत्रकारों की गिरफ्तारी के विरोध और रिहाई की मांग को लेकर पत्रकार लगातार धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। उत्तर प्रदेश के नेता प्रतिपक्ष पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव ने भी पेपर लीक कांड में पत्रकारों की गिरफ्तारी की निंदा करते हुए योगी सरकार पर निशाना साधा है। वही दूसरी ओर एमएलसी चुनाव में मतदान के दौरान कानपुर में जोनल मजिस्ट्रेट ने पत्रकारों को गोली मारने की धमकी दी। वही आईएएस अनुराग जैन ने पत्रकारों पर एफआईआर दर्ज कराने के आदेश दिये थे। एमएलसी चुनाव में मतदान के दौरान कवरेज कर रहे पत्रकारों से जिला प्रशासन ने अभद्रता की। वहीं अगर बात की जाए मध्यप्रदेश के सीधी के कोतवाली थाने में पत्रकार कनिष्क तिवारी और अन्य लोगों पर धारा 151 के तहत केस दर्ज किया गया था। मामला भाजपा विधायक केदारनाथ सिंह से जुड़ा हुआ है। पत्रकार और रंगकर्मियों से थाने में कपड़े उतरवाए गए थे और उन्हें अंडरवियर में ही लॉकअप में बंद किया गया। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने इस मामले में अमर उजाला की खबर का स्क्रीनशॉट करते हुए लिखा कि लॉकअप में लोकतंत्र के चौथे स्तंभ का चीरहरण या तो सरकार की गोद में बैठकर उनके गुणगान गाओ, या जेल के चक्कर काटो। नए भारत की सरकार सच से डरती है।

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