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प्रतिरोधक शक्ति पर दें ध्यान, वरना कोरोना से सेप्सिस को भी दावत


संवाददाता जतन सिंह

विश्व में हर साल 20 प्रतिशत मृत्यु का कारण है सेप्सिस

इलाज के लिए सही समय पर लक्षणों पर करें गौर

महोबा, 03 दिसंबर 2020।

सेप्सिस, सेप्सिसिमिया या रक्तपूतिता एक गंभीर रक्त संबन्धित रोग है। यह कमजोर प्रतिरोधक शक्ति वाले लोगों में आसानी से हो सकती है। इससे ग्रस्त होने की संभावनाएं तब और बढ़ जाती है, जब शरीर पहले से ही किसी अन्य संक्रमण जनित रोग से जूझ रहा हो। यह संक्रमण शरीर के स्वस्थ हिस्से और रक्त को भी क्षति पहुंचाता है जो रोगी के स्वस्थ होने में बाधक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के 8 सितंबर 2020 के नवीनतम रिपोर्ट में यह स्पष्ट है कि कोरोना संक्रमण या दूसरे किसी संक्रमण के रोगियों में सेप्सिस होने की संभावनाएं बहुत बढ़ जाती है।

जिला सलाहकार क्वालिटी एश्योरेंस डा. दिवाकर प्रताप सिंह ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा कि प्रत्येक वर्ष विश्व में होने वाली मृत्यु के आंकड़ों में 20 प्रतिशत मृत्यु का कारण सेप्सिस है। समय रहते लक्षण पहचान कर निदान करना आवश्यक है अन्यथा देर होने से शरीर के अंग (लीवर, किडनी आदि) काम करना बंद कर सकते हैं। यह परिस्थिति रोगी के लिए नुकसानदायक हो सकती है। उनका कहना है कि सेप्सिस हो जाने पर शुरुआती स्टेज में शरीर में पनप रहे संक्रमण को एंटीबायटिक्स द्वारा खत्म कर इस रोग को फैलने से रोका जा सकता है। लेकिन यदि लक्षण के प्रति सतर्क होकर तुरंत उपचार नहीं कराया गया तो यह गंभीर हो सकता और सेप्टिक शॉक के रूप में परिणत होकर रोगी के जीवन के लिए संकट पैदा कर सकता है। इसलिए ऐसे किसी भी लक्षण के दिखते ही बिना लापरवाही बरते चिकित्सक से संपर्क करें ताकि चिकित्सक अविलंब रक्त जांच कर स्थिति का पता लगा सकें और इलाज शुरू कर सकें।


इनको आसानी से हो सकता है सेप्सिसिमिया

सेप्सिस किसी को भी हो सकता है। विशेष तौर पर कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली या प्रतिरोधक शक्ति वाले व्यक्तियों, नवजात शिशुओं, बच्चों, गर्भवतियों, बुजुर्गों, किसी संक्रमण से संक्रमित, एड्स या एचआइवी पॉजिटिव, कैंसर, लीवर सिरोसिस, गुर्दा या प्लीहा संबन्धित रोगों से ग्रसित व्यक्ति कोद्य मौजूदा कोरोना संक्रमण के दौर ने इसकी संभावनाएं और ज्यादा बढ़ा दी है।


लक्षण और उपाय

विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक इसमें बुखार और कंपकपी, सांस लेने में कठिनाई, सांस फूलना या तेज होना, हृदय की धड़कन का तेज होना, मानसिक स्वास्थ्य में बदलाव या बेचैनी, असामान्य रक्तचाप, शरीर पर धब्बे या चकत्ते, दस्त, मतली या उल्टी, पेशाब कम आना और शरीर में अत्यधिक दर्द जैसे लक्षण होते हैं।

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