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नशा:- राष्ट्र ब समाज के लिए अभिशाप


लेखक प्रधानाचार्य वैभव राजपूत

नशा बा नशीली द्रव्यों के उपयोग का बच्चों पर हानिकारक प्रभाव पड़ता है, उनके विकास और चरित्र को बाधित करता है. कुछ प्रभावशाली लोग नशीली द्रव्यों के उपयोग के कारण अपनी सामाजिक प्रतिष्ठा खो देते हैं. जब किसी व्यक्ति की सामाजिक गरिमा और प्रभाव कम हो जाता है, तो बहुत लोग उसे नफरत करते हैं. नशा सामाजिक अपराध को बढ़ाता है.

अत्यधिक सामाजिक अशांति सामाजिक पतन का एक प्रमुख कारण है.न केवल शहर के लोग नशे के आदी हैं, बल्कि ग्रामीण भी नशे के आदी हैं. देशी शराब के उपयोग के साथ पान बीड़ी आदि का मांग नित्य बढ़ रही है.

सरकार नशीले पदार्थों की बिक्री से बहुत अधिक राजस्व एकत्र कर रही है.जो एक प्रकार बढ़ावे की मौन स्वीकृति देती है अगर इसकी बिक्री घटती है, तो यह राजस्व पर दबाव बढ़ने से राज्य कोष के घटने के डर से सरकार निर्णय लेने से डरती है इसके लिए वैकल्पिक व्यवस्था करने की आवश्यकता है.की नशे के ब्यापार को कैसे कम किया जाये क्यो की नशीली दवाओं अधिक कर प्राप्त करने की आशा में सामाजिक जीवन का त्याग नहीं किया जा सकता है. नशीली दवाओं के उपयोग को घटाने और अवैध व्यापार को रोकने के लिए तत्काल कार्रवाई की जानी चाहिए. हमारा काम स्वस्थ समाज का निर्माण करना

लोक सेवकों की प्रतिबद्धता और जन समर्थन से नशा मुक्ति कार्यक्रमों को तेज किया जा सकता है. सबको कानून के भरोसे नहीं रहना चाहिए. इसके लिए हृदय परिवर्तन की आवश्यकता है. अब यह देखने को मिल रहा है कि अधिक से अधिक शराब स्टोर खुल रहे हैं, विशेष रूप से विदेशी शराब स्टोर. समाज को नरक में धकेल कर राष्ट्रीय आय में वृद्धि करना लोकतांत्रिक सरकार का लक्ष्य नहीं होना चाहिए. नशा मुक्ति के लिए सरकारी प्रयास और जनता का सहयोग आवश्यक है.साथ ही नशा जैसे अति संवेदनशील विषयो को शिक्षा के पाठ्यक्रम में जोड़कर घर घर सदेश बा जागरूकता पहुचाने की अतिआवश्यकता है वैशिक आपदा में नशे का कारोबार और भयानक रूप लेकर और तेजी से पनपता है कोविड़ जैसे महामारी में गांव, गली शहरों से शराब की दुकानों से आयी भीड़ भरी तस्वीरों से पूरे देश को हिला कर रख दिया है,,जिसको देख कर लग रहा है देश का युवा और वृद्ध नशे की राष्ट्रीय दौड़ जीतने के लिए आतुर है आज समय आगया है कि यदि सरकारों ने अपने नीति निर्धारण नशा बा नशीली दवाओं से प्राप्त राजस्व को लेकर नही बदली तो इसके भयानक व्यापक परिणाम राष्ट्र को भुगतने होंगे जिससे हम विश्व मे हर तरह से कमजोर होजाएंगे

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