दलित परिवार जालसाजी का हुआ शिकार तो मीडिया के सामने छलका दर्द
मुनीर अहमद अंसारी
वाजिदपुर अयोध्या
राजधानी लखनऊ से सटे जनपद बाराबंकी का एक अजब गजब कारनामा सामने आया है कहते हैं की जब चोर चोर मौसेरे भाई हो तो बड़े-बड़े महाराजा भी जालसाजी का शिकार हो जाते हैं एक ऐसा ही मामला बाराबंकी जनपद के तहसील रामसनेहीघाट के अन्तर्गत विकास खण्ड पूरेडलई के निकट ग्राम पंचायत खमौली का प्रकाश में आया है जहां पर एक दलित परिवार एक बड़े जालसाजी का शिकार हुआ तो मीडिया के सामने अपने दर्द को बयां किया पीड़ित बाबूलाल पुत्र रामसहारे राम अचल राम नेवाज पुत्र ढोढे ने विपक्षियों पर आरोप लगाते हुए कहा की मेरे पूर्वज ढोढे पुत्र नंगें जो बिल्कुल पढ़ें लिखे नहीं थे जो गांव के ही विपक्षी करूणा शंकर व उमाशंकर के पिता छैलबिहारी पुत्र राम चन्दर के घर पर घरेलू खेतिहर मजदूरी करके परिवार का भरण-पोषण पैतृक भूमि गाटा संख्या 145 रक्बा 4 बीघा 19 बिस्वा 4 बिस्वां से खेती की आय एवं विपक्षी के घर पर खेतिहर मजदूरी पर ही निर्भर थे वहीं विपक्षी के पिता छैलबिहारी पुत्र राम चन्दर ने उत्तर प्रदेश राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक राम सनेही घाट के तत्कालीन मैनेजर एवं कर्मचारियों से साजिश कर पीड़ित के पिता के नाम दर्ज गाटा संख्या 145 को फर्जी तरीके से कूट रचित कर बंधक दिखाकर खुद लोन के पैसे अपने खेत में ट्यूबवेल लगवाया विपक्षी के पिता छैल बिहारी ने बैंक कर्मचारियों से मिलीभगत कर ऐसा षड्यंत्र रचा की पीड़ित को उस लोन के बारे में जानकारी पीड़ित परिवार को नहीं होने दिया उत्तर प्रदेश राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक की तरफ से कभी पीड़ित के पिता को न तो कठित लोन की जानकारी दी और ना ही कठित लोन की अदायगी के लिए कभी भी कोई नोटिस नहीं दिया विपक्षी व बैंक कर्मचारियों की मिलीभगत का खेल उस समय पीड़ित परिवार को कानो कान भनक तक नही लगी यहां तक बैंक द्वारा पीड़ित के पिता की फर्जी तौर पर बंधक रखी गई भूमि को अदायगी के साथ नीलाम करने की भी कोई सूचना नही दी गई बैंक में कभी भी पीड़ित की पैतृक भूमि पर कोई झण्डी नीलामी की नही लगाईं गई और न ही अपने कब्जे में लिया गया इसकी जानकारी पीड़ित व आस पास के किसी को नही थी उत्तर प्रदेश राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक रामसनेहीघाट के तत्कालीन मैनेजर और कर्मचारियों व विपक्षी ने आपस में मिलीभगत कर 27 मई 1978 को नुमाइशी एवं कागज़ी नीलामी कार्यवाही की जानकारी बैंक व विपक्षियों ने मिलकर न तो पीड़ित के परिवार को होने दी न ही सार्वजनिक होने दिया बैंक और विपक्षी की साजिश एवं मिलीभगत से पीड़ित के पैतृक भूमि पर फर्जी लोन बंधक के आधार पर नुमाइशी एवं कागजी नीलामी 27 मई 1978 को छुपाकर आपत्ति का समय बीत जाने पर बैंक ने दिनांक 13:12 1978 को रजिस्ट्रार से भी साजिश का विपक्षी के पक्ष में पीड़ित के पैतृक भूमि रजिस्ट्री कर दी गई जब विपक्षी द्वारा फर्जी रूप से तैयार किए गए नीलामी प्रमाण पत्र संख्या 81 375 रजिस्ट्री दिनांक 13/12 1978 के आधार पर तहसीलदार के न्यायालय में दाखिल खारिज की कार्यवाही की गई तो पीड़ित के पिता ढोढे को जानकारी हो पाई तो वकील से राय मशविरा कर तहसीलदार के यहां आपत्ति दाखिल कर दी तभी से पीड़ित का परिवार कानून के चक्रव्यूह में फंसकर मारा मारा फिर रहा है सभी न्यायालय पर न्याय की भीख मांग रहा है पीड़ित कानून कायदे का जानकार ना होने के कारण उसके साथ लगातार धोखाधड़ी वह जालसाजी का शिकार हो रहा है यहां तक की फर्जी नीलामी कागजात के आधार पर तहसीलदार के यहां दाखिल खारिज की कार्यवाही होने पर पीड़ित के पिता द्वारा आपत्ति कर दिए जाने से विपक्षी का नाम सरकारी कागजात में दर्ज नहीं हो पाया पीड़ित के गांव में दूसरी बार चकबंदी आ जाने से अब मुकदमा चकबंदी न्यायालय मैं चल रहा है पीड़ित एक दलित परिवार से हैं तथा मेहनत मजदूरी कर पैसा धोखाधड़ी के मुकदमे बाजी में खर्चा कर रहा है जिससे पीड़ित के परिवार की स्थिति काफी दयनीय हो चुकी है पीड़ित ने आरोप लगाते हुए बताया कि विपक्षी छैल बिहारी के लड़के करुणा शंकर व उमाशंकर दबंग व रसूखदार व चालबाज किस्म के हैं विपक्षी का एक रिश्तेदार अरुण पाठक पत्रकार हैं जो बाराबंकी में रहते हैं विपक्षी अपने रिश्तेदार पत्रकार के साथ मिलकर प्रार्थी को मुकदमे में पैरवी करने से भी रोकते हैं व जानमाल की धमकी देते हैं तथा जातिसूचक शब्दों का प्रयोग कर अपमानित करते हैं यहां तक पीड़ित बाबूलाल पुत्र रामसहारे 3 फरवरी 2022 को मुकदमे की पैरवी के लिए बाराबंकी कचेहरी गया हुआ था शाम को घर वापस आते समय विपक्षी करूणा शंकर अपने कई साथियों के साथ रास्ते में रोककर अवैध असलहा दिखाकर भद्दी भद्दी गालियां देते हुए जाति सूचक शब्दों से नवाजा और धमकी देते हुए कहा की आगे अब बाराबंकी कचेहरी में पैरवी के लिए आओगे तो वापस घर जिन्दा नही जा पाओगे दबंगों की धमकी से पीड़ित परिवार काफी डरा व सहमा हुआ है पीड़ित का कहना है की विपक्षी बहुत ही दबंग और रसूखदार व्यक्ति हैं इनकी शासन प्रशासन में गहरी पकड़ है और इलाकई पुलिस से विपक्षी का गठजोड़ है पुलिस को मोटी रकम देकर आये दिन विपक्षी पुलिस से सांठगांठ करके हमारे पूरे परिवार के सदस्यों के विरुद्ध फर्जी मुकदमा लिखा देते हैं और हम जब अपनी शिकायत पुलिस के पास लेकर जाते हैं तो पुलिस हम लोगों को उल्टा प्रताड़ित करती है और थाने से भगा देती है दलित परिवार ने पुलिस पर भी बडे आरोप लगाते हुए कहा की पुलिस दबंगों पर कोई कार्यवाही नही करती है विपक्षियों पर कार्यवाही न होने से उनके हौसले और बुलंद होते जा रहे और खुलेआम घूम रहे हैं पीड़ित ने बताया की जब बैंक शाखा रामसनेहीघाट में कागजात की जानकारी करने के लिए जाता हूं तो बैंक के कर्मचारियों द्वारा कोई जानकारी नही दिया जाता बैंक के मैनेजर भी हम लोगों के दलित परिवार से होने के कारण गाली गलौज करते हैं धमकी देकर भगा देते हैं और अपमानित करते हैं पीड़ित ने बाराबंकी जिलाधिकारी से शिकायत कर बार बार श्री गणेश परिक्रमा कर रहा है और दिए गए शिकायतीपत्र में मांग किया है की जिस तरह से मेरे साथ धोखाधड़ी एवं जालसाजी कर दलित होने के कारण अपमानित किया गया है उसी तरह विपक्षी करूणा शंकर उमाशंकर पुत्र छैलबिहारी निवासी ग्राम खमौली तथा उत्तर प्रदेश राज्य सहकारी भूमि विकास बैंक रामसनेहीघाट के मैनेजर एवं कर्मचारियों के विरुद्ध एससी-एसटी एक्ट के साथ धोखाधड़ी एवं जालसाजी फर्जी अभिलेख तैयार कराने के मामले में उचित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया जाय और बैंक द्वारा मेरी पैतृक भूमि को फर्जी तौर पर अवैधानिक दिखाने एवं नुमाइशी नीलामी करने की उच्चस्तरीय जांच कराई जाय पीड़ित ने कहा है की अगर ऐसा नही होता है न्याय नहीं मिलता है तो पूरा दलित परिवार अपने बाल बच्चों के साथ बाराबंकी जिलाधिकारी कार्यालय पर आमरण-अनशन करने पर मजबूर होगा फिर इसका जिम्मेदार पूरा प्रशासन अमला होगा दलितों के हित में ढिंढोरा पीटने वाली वर्तमान की सरकार व दलित नेताओं के सामने यह बहुत बड़ा निशानियां सवाल खड़ा कर रहा है
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