छतारी पुलिस पर निर्दोष को थर्ड डिग्री देकर जेल भेजने का लगाया आरोप, डीआईजी को दिया शिकायती पत्र
पुलिस द्वारा की गई मारपीट से पीड़ित के टूटे हाथ पैर, डॉक्टर को काटने पड़े दोनों पैर
संवाददाता नवीन शर्मा
बुलन्दशहर। पुलिस पर फर्जी एनकाउंटर और फर्जी तरीके से थर्ड डिग्री देने के अनेक आरोप लगते आए हैं जिनकी जांच में दूध का दूध और पानी का पानी बाद में हुआ है, एक ऐसा ही मामला छतारी थाना क्षेत्र में देखने को मिला है जहां पीड़ित ने छतारी पुलिस पर निर्दोष को जबरदस्ती उठाकर ले जाने उसे थार्ड डिग्री देकर मारपीट कर फर्जी मुकदमा दर्ज कर जेल भेजने का आरोप लगाया जिसके बाद पीड़ित के मारपीट से पैरों में सड़न और गलन होने पर डॉक्टर द्वारा दोनों पैर काटने पड़े, जिससे पीड़ित हो गया अपाहिज, अब यह जांच का विषय है कि पीड़ित को फर्जी तरीके से थार्ड डिग्री दी गई या नही, जिसके कारण पीड़ित के पैरों में सड़न पैदा हो गई जिसके कारण उपचार के दौरान डॉक्टर को पैर काटने पड़े यह बात कहां तक सच है जांच में लगेगा पता फिलहाल परिजनों ने गंभीर आरोप छतारी पुलिस पर लगाते हुए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक से शिकायत करते हुए न्याय की लगाई गुहार।
बता दें कि वास मोहम्मद पुत्र मोहम्मद शरीफ निवासी ग्राम रिगसपूरी थाना जवां जनपद अलीगढ़ द्वारा बताया गया कि उसका पुत्र निजामुद्दीन को छतारी पुलिस द्वारा 30 जनवरी को सुबह 8 बजे घर से जबरदस्ती उठाकर ले गई जिसमें ऐसो राहुल चौधरी एसआई संजीव कुमार सुमित कुमार और कॉन्स्टेबल चौधरी हरिओम गौरव व अन्य पुलिस वालों ने निजामुद्दीन के साथ थर्ड डिग्री का इस्तेमाल करते हुए लाठी-डंडों से उसके हाथ पैर तोड़ दिए जिससे उसको काफी गंभीर चोटें आई जिसे अस्पताल में ले जाकर डरा धमका कर हाथ पैरों पर प्लास्टर कराकर गंभीर हालत में 31 जनवरी को फर्जी मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया निजामुद्दीन निर्दोष है उसने कोई अपराध नहीं किया जिसके बावजूद भी छतारी पुलिस द्वारा उसके साथ अन्याय किया गया। जिसे फर्जी तरीके से थार्ड डिग्री दी गई है
जिला कारागार में निजामुद्दीन के हाथ पैरों में सूजन और जलन होने की वजह से जेल के जिला अस्पताल में इलाज कराया गया जहां डॉक्टरों ने हालत गंभीर होने के कारण इलाज करने से मना कर दिया इसके बाद निजामुद्दीन को मेरठ अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां निजामुद्दीन के पैरों में सड़न और जलन होने के कारण उसके दोनों पैर काट दिए गए जिससे निजामुद्दीन अपाहिज हो गया है। निर्दोष होने के बावजूद भी सजा पा रहा है।
वास मोहम्मद अपने पुत्र निजामुद्दीन को न्याय दिलाने के लिए वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक कार्यालय में डीआईजी संतोष कुमार सिंह से मिलकर पुलिस कर्मियों के खिलाफ विभागीय एवं कानूनी कार्यवाही करने तथा निर्दोष को न्याय दिलाने के लिए प्रार्थना पत्र दिया। जिसमें डीआईजी संतोष कुमार सिंह ने निष्पक्ष जांच कराकर दोषियों को सजा देने का आश्वासन दिया।
अब देखना यह होगा कि अगर निर्दोष व्यक्ति को छतारी पुलिस द्वारा फर्जी तरीके से थर्ड डिग्री देकर फर्जी मुकदमा दर्ज कर जेल भेज दिया तथा जिसके कारण पीड़ित को अपने पैर भी गंवाने पड़े जिससे वह अपाहिज हो गया ऐसे में अपराधियों के खिलाफ पुलिस विभाग क्या कार्यवाही करता है जिससे पीड़ित को न्याय मिल सके। जिसमें अधिवक्ता सरताज अहमद द्वारा कार्यवाही करने के लिए पैरवी की गई।
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