*मादा घड़ियाल और चंबल पालन केंद्र पर विशेषज्ञ सुन रहे अंडों से आने वाली मदर कॉलिंग*
संवाददाता नवनीत तिवारी
पंचनद(जालौन) पंचनद क्षेत्र के इटावा जिला अंतर्गत चकरनगर तहसील के ईको सेंंटर की बदौलत चंबल नदी में 2176 घड़ियाल मौजूद है।
अवगत हो कि वर्तमान में चंबल नदी में दुर्लभ घड़ियाल का कुनबा खूब फलफूल रहा है। इन दिनों चंबल के किनारों पर प्राकृतिक माहौल में मादा घड़ियाल मदर कॉलिंग सुनकर बच्चों को जन्म दे रही हैं। वहीं, जलीय-जीव विशेषज्ञ अंडों से मदर कॉलिंग की आवाज सुनकर उनका जन्म करा रहे हैं। चकरनगर क्षेत्र के ईको सेंटर पर शनिवार तक 190 बच्चे अंडों से निकल चुके थे और 10 अंडे से बच्चे निकलने का जलीय जीव विशेषज्ञ इंतजार कर रहे हैं। स्धानीय चंबल सेंचुरी कर्मचारी ने बताया कि उचित समय और तापमान पर ही ये बच्चे अंडों से बाहर निकलते हैं।
मई माह के आखिर से लेकर जून के पहले सप्ताह तक बच्चे निकलते हैं, जिन्हें चकरनगर ईको सेंटर पर बड़ा कर टैग लगाकर चंबल में छोड़ते हैं। अभी बेमौसम बारिश होने से चंबल का जलस्तर कुछ बढ़ा है। इस समय घड़ियाल के बच्चों का जन्म भी हो रहा है। ऐसे में जलस्तर बढ़ने से घड़ियाल के बच्चों को नुकसान होने की आशंका है क्योंकि चंबल की बाढ़ में इन बच्चों का बचना मुश्किल रहता है। घड़ियाल के महज 2 फीसदी बच्चे ही बाढ़ में बच पाते हैं। बरसाती मौसम में चंबल में जब पानी का बहाव तेज होता है तो घड़ियाल के बच्चे तेज बहाव को झेल नहीं कर पाते और मर जाते हैं।
मदर कॉल के बारे में बताया जाता है कि प्राकृतिक वातावरण में मां घड़ियाल अपने घोंसलों के आसपास रहती हैं। ऐसे में अंडों से बाहर आने के लिए घड़ियाल के बच्चों की एक ख़ास आवाज अंडे से आती है जिसे ‘मदर कॉल’ कहा जाता है। इसे सुनकर मादा घड़ियाल रेत खोद देती है और अंडों से घड़ियाल बाहर आने शुरू हो जाते हैं। कृत्रिम रूप से बने घोंसलों में ईको सेंटर के विशेषज्ञ ही इस ‘मदर कॉल’ को सुनते हैं और बच्चों को अंडों से बाहर आने में मदद करते हैं।
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