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Writer's pictureKumar Nandan Pathak

घाटे का सौदा बनकर रह गई है खेती। समाजसेवी माजिद अली


मुनीर अहमद अंसारी


वाजिदपुर अयोध्या। रुदौली क्षेत्र के समाजसेवी माजिद अली ने बताया भारत को कृषि प्रधान देश कहा जाता है राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कहे जाने वाले किसानों की भलाई को सरकार अपनी प्राथमिकता बताकर उनके कल्याण के लिए सिंचाई बिजली व उनके उपज की वाजिब कीमत दिलाने के लिए भले ही प्रयासरत हो लेकिन सरकार की कोशिश जमीनी हकीकत न बनकर कागजी आंकड़ों में सिमट कर रह गई है।जिसके फलस्वरूप किसानों के लिए समाजसेवी श्री माजिद अली ने कहा खेती मुनाफे का सौदा न बनकर अब घाटे का सौदा बनती जा रही है।कुछ ऐसे ही हालात से जूझ रहे हैं रुदौली क्षेत्र के किसान।

रूदौली विधानसभा क्षेत्र के समाजसेवी माजिद अली का कहना है की किसानों की दशा दिन ब दिन बिगड़ती जा रही है,इसकी खास वजह है छुट्टा मवेशी,आज किसानों की फसलों को इन जानवरों से खासा नुकसान उठाना पड़ रहा है जब कि सरकार द्वारा गांवो में गौशालाएं बनाई गई कि छुट्टा जानवरों को पनाह मिल सके लेकिन गौशालाएं भी सो पीस बनकर रह गई हैं।गौशालाएं होने के बाद भी इन जानवरों को सड़कों,खेतों में घूमना पड़ रहा है जिसके चलते किसानों व राहगीरों को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है।आज किसानों के सामने कई मुसीबतें खड़ी है जैसे खास कर संसाधन विहीन व निर्बल वर्ग किसान जिस प्रकार खेती की सिंचाई हेतु पानी व बिजली की कटौती से परेशान हाल है।उसे देखकर यह लगता है कि छोटी जोत में पर्याप्त उत्पादन उनके लिए टेढ़ी खीर बन गया है ऊपर से खाद व डीजल व कीट नाशक दवाओं के बढ़ते दामों ने तो उन्हें इस उधम को अलविदा कहने पर बेबस कर दिया है।करीब दो दशक पूर्व रूदौली क्षेत्र अंतर्गत ब्लॉक मवई के ग्राम नेवरा के लिए शारदा सहायक नहर से एक छोटी माइनर निकाली गई तो नेवरा,कोटवा,सलारपुर,रानेपुर सहित तमाम गांवो के किसानों को यह उम्मीद जगी कि अब उनके खेतों में हरियाली दिखेगी और वे खेतो को समुचित जलापूर्ति का लाभ उठाकर संपन्न बनेंगे।लेकिन सिंचाई विभाग की अकर्मण्यता पूर्ण कार्यशैली से उनकी सारी उम्मीदों पर पानी फिर गया।इसलिए यह नहर भी उनके लिए अभिशाप बन गई।यह रही सिंचाई सुविधा बदहाली की दास्तान। बिजली आपूर्ति की समस्या को देखे तो वह भी किसानों के लिए मुसीबत बन कर खड़ी रहती है।सरकार ने गांवो में किसानों को देखते हुए 18 घंटे बिजली उपलब्ध कराने का निर्देश जरूर दे दिया लेकिन इसे हकीकत के आइने में उतारने पर वह पूरी तरह सफल नहीं दिख रही है।इससे लघु व मध्यम वर्ग के किसानों को डीजल चालित नल कूपो से सिंचाई करना महंगा पड़ रहा है।बाधित विद्युत आपूर्ति से विवश होकर किसानों को प्राइवेट ट्यूबवेल धारकों का सहारा लेना महंगा पड़ रहा है।फसलों में कई बार पानी की जरूरत पड़ती है ऐसे में किसान काफी मेहनत के बाद फसल तैयार तो कर लेता है लेकिन जब हिसाब जोड़ता है तो उसकी लागत भी नहीं निकल पाती।ऐसे में जब तक सरकार फसल तैयार करने के लिए समाजसेवी माजिद अली ने पत्रकारों को बताया की सभी सुविधाएं नहीं प्रदान करती तब तक किसानों के चेहरे पर मुस्कान बिखेरना मुश्किल होगा।अपने को किसानों का हितेषी बताने वाली सरकार किसानों की इन समस्याओं का कैसे समाधान करती है यह तो समय ही बताएगा

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