संवाददाता सत्येन्द्र कुमार
गोरखपुर जनपद में तथा अन्य जिलों में हॉस्पिटल रजिस्ट्रेशन के लिए दस्तावेज के तौर पर मेडिकल वेस्ट उठाने वाली कंपनी का सर्टिफिकेट तथा उस सर्टिफिकेट के आधार पर गोरखपुर पॉल्युशन कंट्रोल बोर्ड द्वारा दिया जाने वाला एन ओ सी महत्वपूर्ण दस्तावेज माना जाता है । इसके बगैर हॉस्पिटल रजिस्ट्रेशन की कल्पना करना भी बेमानी है । मेडिकल वेस्ट उठाने वाली कंपनी रॉयल तथा एम पी पी सी सी खलीलाबाद की स्थिति ऐसी है कि महीने में वो बारह से तेरह दिन ही मेडिकल वेस्ट हॉस्पिटलों से उठाते है । पिछले दिनों एक निजी चैनल द्वारा स्टिंग में इस बात का खुलासा हो चुका है । लेकिन जनपद में विभिन्न ब्लॉकों पर तैनात स्वास्थ्य महकमे के चिकित्साधीक्षक टाइप के जिम्मेदार व्यवस्था को सुधारने या असली जिम्मेदार फर्म को कठघरे में लाने की बजाय हॉस्पिटल संचालकों को प्रोफेशनली ब्लैकमेल करने और मेडिकल वेस्ट के नाम पर चांदी काटने और जेब भरने का तरीका आजमाने लग जाते है । कमजोर और बेबस को सताने में माहिर ऐसे चंद चिकित्साधिक्षकों की कूड़ा उठाने वाली फर्मो पर तो कुछ चलती नही तो कुछ छोटे टाइप के हॉस्पिटल संचालकों को मेडिकल वेस्ट के निस्तारण के नाम पर निशाना बनाकर उनका धनादोहन कर अपना उल्लू सीधा करने लग जाते है । अपने क्षेत्र में चल रहे सैकड़ों की संख्या में अल्ट्रासाउंड क्लिनिक हॉस्पिटल और पैथोलॉजी को छोड़कर ऐसे लोगों के पीछे पड़ जाते है जो रजिस्ट्रेशन लेकर नियमानुसार काम कर रहे है और जिनके खिलाफ आज तक किसी तरह के नियमविरुद्ध कार्य की शिकायत तक नही मिली । ऐसा ही एक वाक्या जनपद के उत्तरी क्षेत्र में भी प्रकाश में आया है । जिसमे हॉस्पिटल संचालक ने सबूतों के आधार पर एक सरकारी डॉक्टर साहब को कठघरे में खड़ा करने का ताना बाना बुन लिया है । जिसके साक्ष्य अभी तक प्राप्त नहीं हो सके है । साक्ष्य प्राप्त होने के बाद जल्द ही प्रमुखता से इसे प्रकाशित किया जाएगा ।
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