गर्व है हमें कि तुमने पाकर सफलता
अपनी एक नयी पहचान बनायीं है,
खुद का रौब बढाया है और
हम सबकी शान बढ़ाई है।
युवाओं के लिए आइडल मां बाप का लाडले ने बढ़ाई लखनऊ सहित देश का मान
खबरों पर पैनी नजर हिंदी दैनिक समाचार पत्र परिवार की तरफ से अमन श्रीवास्तव ( 2 वर्ष पीएचडी रिचर्स स्कालर) पुत्र संजय कुमार श्रीवास्तव जी को हार्दिक शुभकामनाएं
ब्रह्मांड में गूंजने वाली हम्म्म्म की आवाज का भारत सग पांच देशों ने किया खुलासा, क्यो आती है ध्वनि
भारत समेत दुनियाभर के वैज्ञानिकों ने की पुष्टि, गुरुत्वाकर्षण तरंग थी वजह
वैज्ञानिकों ने कम आवृत्ति वाली गुरुत्वाकर्षण तरंगों के अस्तित्व का पहला सबूत दुनिया के सामने पेश किया है। गर्व की यह बात है। कि भारतीय खगोलविदों ने इसमें बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
गैस के चलते अंतरिक्ष में ट्रैवल करते हैं साउंड वेव
इससे पूर्व नासा ने भी कहा था कि यह मानना गलत है कि अंतरिक्ष में कोई आवाज नहीं होती है। क्योंकि आकाशगंगा खाली है, जिससे साउंड वेव को ट्रैवल करने का कोई रास्ता नहीं मिलता था। ये आवाज एक कंपन है। आवाज की खोज किये वैज्ञानिकों का कहना है कि अंतरिक्ष में कई जगह पर गैस हैं, जिनके चलते साउंड वेव घूमती रहती हैं। साल 2022 के अगस्त महीने में नासा ने पर्सियस आकाश गंगा समूह के केंद्र में एक बड़े ब्लैक होल की ध्वनि को खोजा था। नासा ने इस ब्लैक होल से निकलने वाली ध्वनि को दुनिया के समक्ष जारी किया था।
साइंटिस्ट अल्वर्ट आइंसटीन ने भी की थी ब्रह्मांड की आवाज की घोषणा
खगोलविदों द्वारा खोजी गई ब्रह्मांड की आवाज की तुलना अल्वर्ट आइंसटीन की एक घोषणा से की गई है, जिसमें उन्होंने कहा था कि गुरुत्वाकर्षण तरंगों जैसी एक अन्य ध्वनि ब्रह्मांड में मौजूद है। नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स (NCRA) द्वारा संचालित, पुणे में स्थित भारत का विशाल मेट्रोवेव रेडियो टेलीस्कोप (GMRT) दुनिया के छह सबसे बड़े रेडियो टेलीस्कोपों में से एक था, जिसने नैनो-हर्ट्ज गुरुत्वाकर्षण तरंगों की इस खोज का मार्ग प्रशस्त किया।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर वैज्ञानिकों ने बीते गुरुवार (29 तारीख) सुबह 5:30 बजे इसकी घोषणा की, पुणे स्थित नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स (NCRA) ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में यह जानकारी दी कि एक ही दिन में 16 शोध पत्र प्रकाशित हुए हैं।
इसमें भारत समेत यूरोप और जापान के वैज्ञानिक शामिल हैं। यह शोध पल्सर सितारों के अवलोकन के माध्यम से सामने आया है। जिसे ब्रह्मांड की सबसे अच्छी घड़ी माना जाता है। इसके लिए नारायणगांव के पास स्थित अत्याधुनिक विशालकाय मीटरवेव रेडियो टेलीस्कोप (जीएमआरटी) ने अहम भूमिका निभाई है।
2015 में, लाइगो और विर्गो प्रयोगशालाओं ने गुरुत्वाकर्षण तरंगों के अस्तित्व को साबित किया। अब यूरोपीय और भारतीय पल्सर टाइमिंग ऐरे के वैज्ञानिकों ने पहली बार माइक्रो-फ़्रीक्वेंसी तरंगों का पता लगाया है। दुनिया भर में छह रेडियो दूरबीनों द्वारा पिछले 25 वर्षों में एकत्र किए गए अवलोकनों के विश्लेषण के आधार पर सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण तरंगों के अस्तित्व की पुष्टि की गई है।
आइंस्टीन ने कहा था कि गुरुत्वाकर्षण तरंगें पल्सर तारों के रिकॉर्ड को प्रभावित करती हैं। जीएमआरटी रिकॉर्ड का उपयोग बहुत सूक्ष्म परिवर्तन अवलोकनों को अन्य गड़बड़ी अवलोकनों से अलग करने के लिए किया गया है। दशकों की खोज के बाद, इन सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण तरंगों के अस्तित्व की पुष्टि की गई है।
प्रोफेसर भालचंद्र जोशी, वैज्ञानिक, एनसीआरए
वैज्ञानिक सभी प्रकार की तरंगों के बीच गुरुत्वाकर्षण तरंगों का पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं। उसी के एक भाग के रूप में, पल्सर टाइमिंग ऐरे पर शोध किया गया है। आधुनिक जीएमआरटी, जो कम आवृत्ति वाली रेडियो तरंगों पर नज़र रखता है, इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है।
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