केपीपीएन संवाददाता उमर फारूक कुशीनगर
प्रकृति में नकारात्मक तत्त्वों का बढ़ना ही प्रदूषण है। मानव ने अपनी विकास यात्रा के दौरान कई नकारात्मक तत्वों की मात्रा बढ़ा दिया है, जिससे प्रकृति का संतुलन बिगड़ गया है। इस असंतुलन के नियंत्रण में राष्ट्रीय सेवा योजना की भूमिका महत्वपूर्ण है क्योंकि राष्ट्रीय सेवा योजना समाज में प्रदूषण मुक्त स्वयं सेवक और स्वयं सेविकाएं तैयार करती है और ये प्रदूषण मुक्त समाज का निर्माण करते हैं। उक्त बातें बुद्ध पीजी कॉलेज कुशीनगर में चल रहे राष्ट्रीय सेवा योजना के सप्त दिवसीय शिविर को तीसरे दिन "प्रदूषण मुक्त समाज बनाने में राष्ट्रीय सेवा योजना की भूमिका" विषय पर मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित करते हुए नयी दिशा पर्यावरण सेवा संस्थान के सचिव डॉ0 हरिओम मिश्र ने कहा। डॉ0 मिश्र ने वायु, जल, ध्वनि, मृदा प्रदूषण के विविध कारणों की वृहद व्याख्या की। आपने सामाजिक प्रदूषण और उसके कारणों की व्याख्या करते हुए जाति, धर्म, लिङ्ग आदि के आधार पर आधारित प्रदूषण को समाज के लिये घातक बताया। इसके अलावा राजनीतिक, धार्मिक, भौतिक प्रदूषण की भी चर्चा की।
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे डॉ0 आमोद राय ने कहा कि अगर हमारे इरादे नेक हों तो हम सब कुछ कर सकते हैं। उन्होंने बताया कि पृथ्वी ब्रह्माण्ड का अतिसूक्ष्म हिस्सा है फ़िर भी हम अपने धन, संपत्ति और कृत्रिम चीजों को लेकर गौरवान्वित होते रहे हैं। उन्होंने विशेष रूप से वैचारिक प्रदूषण की चर्चा की और बताया कि हम चिंतन की प्रवृत्ति से दूर होते जा रहे हैं। अच्छा और बुरा में फर्क करने की हमारी क्षमता कम हो गई है। उपनिषदों का संदर्भ देते हुए उन्होंने अपनी आवश्यकताओं को कम करनें पर बल दिया। डॉ0 राय ने पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन के माध्यम से प्रकृति के विविध तत्वों और उसकी महत्ता को प्रदर्शित किया।
कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा माँ सरस्वती की प्रतिमा के समक्ष दीप प्रज्ज्वलन व पुष्पार्चन से हुआ। अतिथियों का परिचय मुख्य कार्यक्रम अधिकारी डॉ0 निगम मौर्य, स्वागत डॉ0 पारस नाथ व विषय स्थापना कार्यक्रम अधिकारी डॉ0 जितेंद्र मिश्र ने किया। कार्यक्रम का संचालन स्वयं सेविका अंकिता सिंह व आभार अंशिका गुप्ता ने किया। इस अवसर पर सभी 150 शिविरार्थी उपस्थित रहे।
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