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Writer's pictureKumar Nandan Pathak

केंद्र सरकार ने MVA गाइडलाइंस किया जारी, Ola, Uber जैसी कंपनियों को झटका, करना होगा पालन



किराए की टैक्सी मुहैया कराने वाली ओला, ऊबर जैसी कैब कंपनियों को भारत सरकार की नई मोटर वाहन एग्रीगेटर गाइडलाइन्स से काफी बड़ा झटका लगा है. सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने आज मोटर व्हीकल एग्रीगेटर गाइडलाइंस 2020 को जारी किया. इन गाइडलाइंस के मुताबिक एग्रीगेटर्स को राज्य सरकार से लाइसेंस लेना जरूरी होगा. साथ ही राज्य किरायों को भी तय कर सकेंगे. इसके अलावा एग्रीगेटर की परिभाषा को शामिल किया गया है. इसके लिए मोटर व्हीकल 1988 को मोटर व्हीकल एक्ट, 2019 से संशोधित किया गया है.


इनका लक्ष्य शेयर्ड मोबिलिटी को रेगुलेट करने के साथ ट्रैफिक और प्रदूषण को कम करना है. इसके अलावा एग्रीगेटर की परिभाषा को शामिल किया गया है. इसके लिए मोटर व्हीकल 1988 को मोटर व्हीकल एक्ट, 2019 से संशोधित किया गया है. एग्रीगेटर को बेस फेयर से 50% कम चार्ज करने की अनुमति होगी. कैंसिलेशन फीस को कुल किराया का 10% किया गया है, जो राइडर और ड्राइवर दोनों के लिए 100 रुपए से अधिक नहीं होगा. डेटा को भारत सरकार के कानून के अनुसार सुलभ बनाना होगा लेकिन ग्राहकों के डेटा को यूजर्स की सहमति के बिना शेयर नहीं किया जाएगा.


गाइडलाइंस के अनुसार अब हर ड्राइव पर ड्राइवर को 80% किराया मिलेगा, जबकि कंपनियों के पास 20% ही किराया जाएगा. एग्रीगेटर को रेगुलेट करने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दी गई गाइडलाइंस का राज्य सरकारों को पालन करना होगा. लाइसेंस की जरूरतों के अनुपालन को सुनिश्चित करने के लिए, एक्ट के सेक्शन 93 के तहत जुर्माने का प्रावधान है. गाइडलाइंस का उद्देश्य एग्रीगेटर्स के लिए राज्य सरकारों द्वारा एक रेगुलेटरी व्यवस्था बनाना है जिससे यह सुनिश्चित हो सके कि एग्रीगेटर जवाबदेह हैं और उनके द्वारा किए जा रहे संचालन के लिए जिम्मेदार हैं. मंत्रालय ने प्रेस रिलीज में बताया कि संशोधन से पहले एग्रीगेटर का रेगुलेशन उपलब्ध नहीं था. इससे इज ऑफ डूइंग बिजनेस, ग्राहकों की सुरक्षा और ड्राइवर का वेलफेयर भी सुनिश्चित करना होता है.

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