केपीपीएन संवाददाता
हरदोई : उत्तर प्रदेश में जहां त्रिस्तरीय चुनाव का बिगुल बज चुका है एवं सभी प्रत्याशियों द्वारा अपना पूरा परिश्रम एवं समाजिक छवि को इस चुनाव में विजय पाने के लिए फूंक दिया गया है।तथा अपने कार्यकर्ताओं के साथ पूरा प्रचार प्रसार जोरों शोरों से इस चुनाव में विजय प्राप्त करने के लिए किया जा रहा है। तो वहीं उत्तर प्रदेश के हरदोई जिले के संडीला में स्थित गांव सुंदर पुर में लड़ रहे चुनाव में खड़े प्रत्याशी राम विलास यादव के कारनामों की किसी को भनक भी नहीं दरअसल मामला कुछ यूं है कि चुनाव में खड़े प्रत्याशी पर किसी भी प्रकार का कोई अपराधिक मुकदमा पंजीकृत नहीं होना चाहिए। एवं अपने सम्पूर्ण जानकारी प्रत्याशी को चुनाव में प्रत्याशी पद पर खड़े होते समय चुनाव आयोग में एक हलकनामे के रूप में दाखिल करनी होती है। जिसमें प्रत्याशी की सम्पूर्ण जानकारी होती है। परंतु हरदोई के संडीला में स्थित ग्राम सुंदरपुर से चुनाव में खड़े प्रत्याशी राम विलास यादव के ऊपर मध्यप्रदेश के इंदौर हाइकोर्ट में आपराधिक मामले में मुकदमा पंजीकृत हैं। एवं सूत्रों की मानें तो इंदौर पुलिस द्वारा इनको ढूंढा भी जा रहा है।और यह वहां से फरार चल रहे हैं।तथा उत्तर प्रदेश में आकर चुनाव लडने का पूरा मन भी बना चुके हैं।जहां पर इनका चुनाव चिन्ह कार बना हुआ है। आपको बता दें कि मध्यप्रदेश के नीमच जिले के बधान थाने से अभियोग 27 लाख 5 हजार रुपए के टांसपोर्ट में बीते 3/01/2020 में भेजे गए समान पर लूट का अभियोग पंजीकृत किया गया है। पंजीकृत हैं जिसकी सुनवाई इंदौर कोर्ट में चल रहा है।
जिसकी सम्पूर्ण जानकारी छुपा कर एक संगीन अपराध किया है।जिसके फलस्वरूप ऐसे अभियुक्तों पर तथ्यों को छुपाने के विरूद्ध निर्वाचन आयोग ने कहा था कि चुनाव कंपेडियम में जारी निर्देशों में कहा है कि जनप्रतिनिधत्व कानून, 1951 की धारा 125 ए के तहत कोई उम्मीदवार नामांकन फार्म के साथ शपथ पत्र में गलत सूचनाएं देता है या उन्हें छुपाता है तो इसके लिए उसे छह माह की सजा या जुर्माना या दोनों हो सकते हैं। बाद में पता चलने पर चुनाव भी रद्द हो सकता है। आयोग ने कहा कि जनसेवक को झूठी सूचनाएं देना भी आईपीसी की धारा 177 के तहत अपराध है। हालांकि आरपी एक्ट में यह स्पष्ट नहीं किया गया है कि उम्मीदवार द्वारा झूठी सूचनाएं देने की शिकायत किस प्राधिकार के पास की जाएगी और किसके द्वारा की जाएगी।
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