केपीपीएन संवाददाता उमर फारूक कुशीनगर
डॉक्टर को भगवान का दर्जा दिया जाता है लेकिन उत्तर प्रदेश के कुशीनगर जिले में प्राइवेट अस्पताल की लापरवाही का एक बड़ा मामला सामने आया है. एक महिला का गर्भपात बिना जाँच किये दवा देकर करवा दिया गया परिजनों को नहीं थी कोई सूचना नीम हकीम खतरा ए जान वाली कहावत आपने जरूर सुनी होगी।मगर यहां नीम हकीम नहीं बल्कि बोर्ड पर बड़ी बड़ी डिग्रियां तानकर अस्पताल खोलकर बैठे डाक्टरों का भी हाल नीम हकीम से अलग नहीं है। मामला कसया स्थित अलशीफा अस्पताल का है जहाँ एक पांच महीने की प्रेगनेंट महिला ब्लिडिंग की वजह से डॉक्टर को दिखाने पहुंची। जहां उसने पर्ची कटवाई फीस भी जमा की मगर बिना डॉक्टर के देखे, बिना पर्ची पर कोई दवा लिखे अस्पताल में स्थित मेडिकल स्टोर से डायरेक्ट दवा दे दी गई। नतीजा महिला को इंजेक्शन लगाने के कुछ वक्त बाद ही उसका गर्भपात हो गया,एक बड़ी लापरवाही ने महिला के पेट में पल रहे 5 महीने के मासूम बच्चे की जान ले ली महिला की हालत देख कसया के सरकारी अस्पताल में भर्ती करवाया गया,जहा महिला का इलाज चल रहा है,फिलहाल इस मामले में माहिला के परिजन महिला की हालत को लेकर चिंतित है।
लापरवाही की इंतहा तो देखिए, अस्पताल की पर्ची कट गई लेकिन किसी भी डाक्टर ने दवा लिखने तक की जहमत नहीं उठाई।और उसी अस्पताल में खुले मेडिकल स्टोर जिसका नाम अजीज मेडिकल स्टोर है, से सीधे दवा दिला दी गई। जबकि कानूनन बिना डाक्टर के लिखे मेडिकल स्टोर से दवा नहीं दी जा सकती।मौजूद डाक्टर ने भी माना कि वो मौके पर नहीं थे। हालांकि बिना पर्ची पर दवा लिखे सीधे मेडिकल स्टोर से दवा देने के सवाल पर वो गोल मोल जवाब देने लगे।वहीं, इस मामले में कसया सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र की महिला चिकित्सा अधीक्षक डॉक्टर नीलकमल का कहना है कि मामला उनके संज्ञान में आया है, मामला गर्भपात का है,वह भी बिना पर्ची पर दवा लिखे आखिर किसकी सलाह पर दवा दी गई यह बड़ी लापरवाही है और महिला की जान भी जा सकती थी,इसकी जांच करवा कर उचित कार्यवाही की जायेगी, कुल मिलाकर जनपद में कुकुरमुत्ते की तरह उग आए अस्पताल सिर्फ और सिर्फ उगाही का जरिया बन चुके हैं। ऐसा कोई महीना नहीं जब अस्पतालों की लापरवाही से दो चार की जान पर ना बन आती हो।हर बार स्वास्थ्य विभाग कार्रवाई का दावा करता है मगर हालात जस के तस हैं।
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