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Writer's pictureKumar Nandan Pathak

अवैध हास्पिटल संचालकों के मकड़जाल में फंसे डिग्री धारी चिकित्सक


मरीजों का मुफ्त इलाज करने की इच्छा जताकर बना रहे कमाई का अड्डा


मरीजों को बेहतर स्वास्थ्य सेवा के उद्देश्य से मेहनत कर अर्जित की डिग्री थमा रहे गलत हाथों में



केपीपीएन संवाददाता।


लखनऊउत्तर प्रदेश की अगर बात की जाए तो प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार आते ही बीते कई वर्षों से अपराधियों में दहशत का माहौल देखने को मिला है। वहीं सरकार की कार्यशैली भी काबिले तारीफ रही है। मौजूदा सरकार ने भी समाज से भ्रष्टाचार को समाप्त करने के लिए अथिक परिश्रम कर कई मास्टर प्लान तैयार कर उन्हें धरातल पर उतारा है। फिर चाहे अपराधियों को पकड़ने के लिए मुठभेड़ हुई हो या फिर फरार अपराधियों के अवैध निर्माण पर बुलडोजर चलना हो सभी नीतियों का प्रयोग भ्रष्टाचार मुक्त समाज बनाने का प्रयास जारी रहा है। वहीं दूसरी ओर प्रदेश सरकार लगातार गोरखपुर कांड के बाद चरमराई स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार कर एक नया आयाम स्थापित किया है । परंतु जहां एक ओर धरातल पर डाक्टरों को भगवान की श्रेणी में अकिंत किया गया है। वहीं कुछ अपराधिक प्रवृत्ति के लोगों द्वारा स्वास्थ्य व्यवस्था जैसी पूजनीय कार्य को भी सरकार की आंखों में धूल झोंक पलीता लगा पैसा कमाने का व्यापार बना बैठे हैं। जिसमें जाने अंजाने मे जनता की दिन-रात निस्वार्थ सेवा करने वाले डाक्टर भी इन अवैध हास्पिटलो के संचालकों के अपराधिक मंसूबों में फंसते नजर आ रहे हैं। कहीं डिग्री धारी चिकित्सको की डिग्री हासिल कर अवैध हास्पिटलो को निर्मित करवा वहां से मासूम जनता की जान से खिलवाड़ डिग्री धारी चिकित्सको की गैरमौजूदगी में करते हैं। प्रदेश भर में कई ऐसे अवैध हास्पिटलो को देखा जा सकता है जहां चिकित्सकों की डिग्री लगा पंजीकरण तो करवा लिया गया है। परंतु डिग्री धारी चिकित्सको को उन हास्पिटलो का मार्ग भी नहीं पता है। तथा ऐसे अवैध हास्पिटल संचालकों के पास स्वास्थ्य सेवा के नाम पर एक अहम कमाई का जरिया बना होने के कारण कभी कभी मरीजों की मौत के बाद मामला तूल पकड़ने पर उन्हें डरा धमकाकर चुप करा दिया जाता है। काफी स्थानों पर तो मामला संवाददाताओं के संज्ञान में आने पर उनसे समझौता करने का प्रयास किया जाता है और उनके द्वारा खबरों के प्रकाशन को रोकने से मना कर देने से नराज होने पर संवाददाताओं को जान से मारने की धमकी दी जाती है या फिर कुछ भ्रष्ट कर्मचारियों से मिलकर फर्जी मुकदमा दर्ज करवा दिया जाता है। तथा अपनी अवैध हास्पिटलो की आड़ में धन उगाही की दुकानें संचालित रखी जाती है।

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